मिट्टी की लगातार गिरती गुणवत्ता और उससे जनित रोगों को देखते हुए पिछले कुछ सालों में भारत में खेती कीनई-नई तकनीकें सामने आई हैं. आजकल छत और बालकनी या किसी भी सीमित जगह का इस्तेमाल कर फल और सब्जियों को उगाने का चलन बढ़ा है. ऐसे में हाइड्रोपोनिक फार्मिंग इसके लिए उपयुक्त तकनीक है. इस तकनीक की खासियत ये है कि इसमें पौधे को लगाने से लेकर विकास तकके लिए मिट्टी की कहीं भी जरूरत नहीं है और लागत अन्य तकनीकों केमुकाबले बेहद कम है.हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती करने के लिए मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है. इस पद्धति से खेती में बिना मिट्टी का प्रयोग किए आधुनिक तरीके से खेती की जाती है. यह हाइड्रोपोनिक खेती केवल पानी या पानी के साथ बालू और कंकड़ में की जाती है. इसमें जलवायु नियंत्रण की जरूरत नहीं होती है. हाइड्रोपोनिक खेती करने के लिए करीब 15 से 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. इसमें 80 से 85 प्रतिशत आर्द्रता वाली जलवायु में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है.इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल करने में पहले अधिक लागत लगती है,अबआपभीबिनामिट्टीकेउगासकतेहैंसब्जियांजानेंक्याहैहाइड्रोपोनिकखेती किंतु एक बार यह प्रणाली पूर्णरूप से स्थापित हो जाती है. तब आप इस प्रणाली से अधिक लाभ कमा सकते है. हाइड्रोपोनिक तकनीक स्थापित करने में प्रति एकड़ के क्षेत्र में करीब 50 लाख रुपए तक का खर्च आता है. यदि आप चाहे तो अपने घर की छत पर भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर खेती कर सकते है.हाइड्रोपोनिक तरीके से फार्मिंग के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती है. केवल अपनीजरूरत के हिसाब से इसका सेटअप तैयार करना पड़ता है. एक या दो प्लांटर सिस्टम से भी इसकी शुरुआत कर सकते हैं या फिर बड़े स्तर पर 10 से 15 प्लांटर सिस्टम भी लगा सकते हैं.इसके तहत तहत आप गोभी, पालक, स्ट्राबेरी, शिमला मिर्च, चेरी टमाटर, तुलसी, लेटस सहित कई अन्य सब्जियां और फलों का उत्पादन कर सकते हैं.सबसे पहले एक कंटेनर या एक्वारियम लेना पड़ेगा. उसमें एक लेवल तक पानी भर दें. कंटेनर में मोटर लगा दें, जिससे पानी का फ्लो बना रहे. फिर कंटेनर मे इस तरह पाइप फिट करें, जिससे उसके निचले सतह पर पानी का फ्लो बना रहे. पाइप में 2-3 से तीन सेंटिमीटर के गमले को फिट करने के लिए होल करवा लें. फिर उन होल में छोटे-छोटे छेद वाले गमले को फिट कर दें.गमलेमें पानी के बीच बीज इधर उधर ना जाए, इसके लिए इसे चारकोल से चारो ओर से कवर दें . जिसके बाद गमले में नारियल की जटोंका पाउडर डाल दें,फिर उसके ऊपर बीज छोड़ दें. दरअसल नारियल की जटों का पाउडर पानी को काफी अच्छी तरह से ऑब्जर्व करता है, जो पौधों के विकास के लिए काफी फायदेमंद होता है. वहीं इस दौरान प्लांटर में मछली का पालन भी कर सकते हैं. दरअसल, मछलियों के अपशिष्ट पदार्थ को पौधों के विकास में काफी सहायक माना जाता है.हाइड्रोपोनिक फार्मिंग एक विदेशी तकनीक है. विदेशों में इसे उन पौधों को उगाने में उपयोग किया जाता है, जो काफी संवेदनशील होते हैं और मिट्टी जनित रोगों केशिकार हो जाते हैं. अब धीरे-धीरे यहतकनीक भारत में बेहद लोकप्रिय हो रहा है. इस सेटअप करने से पहलेजरूर ध्यान रखें कि कंटेनर तक धूप की पर्याप्त पहुंच हो, नहींतो पौधे का विकास प्रभावित होगा.